Thursday 23 March 2017

डर आपके सरकार से नहीं लगता साहब आपके शोहदों के कार्यकाल से लगता है

सरकार बदल चुकी है, प्रचंड बहुमत के साथ नई सरकार सत्तासीन हो चुकी है लोगों के नई सरकार में असीम बहुमत के साथ विश्वास व्यक्त किया है, मुख्यमंत्री पद के शपथ के साथ तमाम चैनलों पर चौबीस गुना सात चलने वाली बहस कौन बनेगा मुख्यमंत्री जैसी पकाऊ बहसें खत्म हो गई है।
संसद मे बतौर सांसद आदित्यनाथ ने अपने भाषण में काफी चुटीले अंदाज में कहा था खड़गे जी उत्तर प्रदेश में अब बहुत कुछ बंद होने वाला है। उनकी इस बात का असर तड़ातड़ लिए जाने वाले फैसलों में साफ दिखने लगा है। मतलब साफ है कि ये चुप बैठने वाली सरकार नहीं है वैसे ये भी कहा जा रहा है कि नई बहु का रंग कुछ दिन अच्छा ही लगता है।
एक तरफ जहाँ सरकार के अच्छे कदमों की सराहना होनी चाहिए वहीं दूसरी तरफ सरकार की आड़ में कानून व्यवस्था को चुनौती देते और गुंडागर्दी करते लोगों के समूहों पर भी कड़ी कार्यवाही की जरूरत है। चुनाव के समय ये समूह एक विशेष पार्टी का समर्थन करते हैं और फिर उसकी सरकार बन जाने पर खुलकर धांधली करते हैं जैसे नई सरकार ने इन्हें कानून व्यवस्था हाथ में लेने का लाइसेंस दिया हो। चूंकि चुनाव में ये दल उस पार्टी के समर्थन में होते हैं जो सत्ता में आती है तो सरकार भी इनपर कार्यवाही करने से बचती है। ये किसी एक पार्टी की कहानी नहीं है, हर पार्टी के साथ ऐसे छुटभैये जुड़े रहते हैं। पिछली सरकार के कार्यकाल में भी आए दिन टोल बूथ पर होती लड़ाईयाँ अभी भूली नहीं हैं।

चुनाव में भाजपा वे अपने घोषणापत्र में कहा था कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्कावयड का गठन करेगी जिसे अब अमली जामा पहनाया जा रहा है। क्या इसका मतलब ये है पहले पुलिस महिलाओं के साथ हुए ऐसे वारदात से अच्छे से नहीं निपटती थी?  एंटी रोमियो स्कावयड में शामिल पुलिस अब लड़कों से अजीबों गरीब सवालात कर रही है जिसमें फटे हुए जींस से लेकर टी-शर्ट के उपर शर्ट का बटन खोल कर भी चलने पर सवाल किए जा रहे हैं। सतीश ने बताया कि वो म्यूजिक से जुड़े हुए हैं और स्टाइलिश दाढ़ी रखते हैं, फैशन के लिए कभी कभी शर्ट खोल के बाइक चलाते हैं कल उन्हें रास्ते में रोक कर सवाल किए गए जो अजीब था। ऐसे ही कई शहरों से अपने बहन को कॉलेज से लाने गए लड़कों को भी चेतावनी दी गई तो कहीं उठक-बैठक भी कराया गया। डर है कि ये एंटी रोमियो स्क्वायड कुछ तथाकथित हिन्दू संस्कृति रक्षक दलों की तरह कहीं साथ बैठे कपल से आपस में राखी ना बंधवाने लगे या मारपीट ना करने लगे। यहाँ तक की बनारस के शहीद उद्दान में अकेले बैठे लड़कों को भी बुला कर चेतावनी दी गई।

 बनारस में कल कई शराब की दुकानों को बंद करने को लेकर बवाल काटा गया। आमतौर पर अखबारों में आया कि ये महिलाओं के द्वारा किया गया हंगामा था जिसमें शराब की दुकानों पर तोड़ फोड़ की गई हो सेल्समैन को मारा पीटा गया, शराब की बोतलें फेंक दी गई लेकिन कुछ लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि इसमें कुछ युवक भी शामिल थे और कई जगह के डिपार्टमेंटल स्टोर पर दुकानों के अंदर टेबल कुर्सीयाँ तोड़ दी गई और बाकि सब्जियाँ, पनीर जैसे आइटम भी फेंक दिए गए। बाहर पुलिस चुपचाप खड़े तमाशा देख रही थी।

अगर शराब बंद ही करना है तो इसके लिए एक कानूनी प्रावधान लाना होगा ऐसे हंगामें कर और अपनी नौकरी कर रहे कर्मचारी को पिटने के लिए लोगों पर कानूनी कारवाई होना चाहिए। ठीक ऐसा ही बूचड़खानों के साथ भी है विदित हो कि पिछले साल कई जगह पशुओं को लेकर जा रहे ट्रक वालों को कुछ लोगों ने घेर कर मार दिया था।

बात ठीक है जो चीजें गलत हैं वो बंद हो लेकिन ये कानूनी दायरे में ही हो वरना ना गुंडाराज ना भ्रष्टाचार का नारा देने वाली सरकार के राज में ही गुंडाराज को बढ़ावा मिलने लगेगा।

(अभिषेक)