फिल्म समीक्षा- राधे
राधे एक अति डिस्टर्बिंग मूवी है इसे देखना
परमाणु परीक्षण से भी भी ज़्यादा ख़तरनाक हो सकता है।
फ़िल्म में एक ही किरदार है सलमान और बाकि सब
भाई के मनोरंजन के लिए है।
मूवी खत्म होने की रफ़्तार बुलेट ट्रेन से भी
तेज़ है इस तरह भाई सरकार का सपोर्ट करते हुए दिखते हैं कि बुलेट ट्रेन ना सही
बुलेट मूवी सही।
इस फ़िल्म में रियल लाइफ़ की तरह रील लाइफ़ में
भी भाई लोगों पर गाड़ी चढाने का शौक पूरा करते हुए दिख हैं।
फ़िल्म में सबके अधिकारों का ख़्याल रखते हुए
सबको अपने हिसाब से डायलॉग बोलने और एक्टिंग करने की छूट दी गई है इसलिए जिसको जो
मन कर रहा है वो कर रहा है।
हर किरदार फ़िल्म में कुछ ना कुछ कर रहा है
परंतु क्या
करना चाहता है वो स्वयं नहीं जानता है।
सामान्य हालात में ये फ़िल्म देखना आपको पागल
कर सकता है इसलिए अपने किसी ऐसे दोस्त के साथ इसे देखें जिसने इस दुनिया से उम्मीद
रखनी छोड़ दी हो।
समय के साथ खराब एक्टिंग की मिसाल कैसे पेश कर
सकते हैं ये कलाकारों को सलमान से सीखना चाहिए।
जीवन से हताश निराश लोगों के लिए ये फ़िल्म
टॉनिक का कार्य करती है कि जब ऐसी फ़िल्में चल सकती हैं तो जीवन क्यों नहीं चल
सकता।
बाकि ये मूवी रेटिंग और आलोचनाओं से परे है
ट्रेलर से ही पता
चल गया था कि इसको देखने में रिस्क है तो सवारी सामान की खुद ज़िम्मेदार है आप चाहें तो देश के नाम खुला खत लिख कर भी देख सकते हैं बाकि ये फ़िल्म इसलिए भी देखनी चाहिए ताकि पता चल सके कि कैसी फ़िल्में नहीं देखनी चाहिए।