Sunday 10 February 2013

खुद से कितना भी लेट जाने का प्रयास करने के बावजूद exam center पर अपने room में सबसे पहले पहुचने वाला होनहार छात्र मैं हीं था आखिर talent भी कोई चीज होती हैं दोस्तों ........
खैर exam hall में सबसे पहले timepass करने वाली चीजो पे ध्यान दिया but बहुत ध्यान  से देखने के  बाद भी कुछ नज़र नहीं आया तो स्कूल के बारे में concept हीं  ख़राब हो गया की ये भी कोई क्लास है जिसमे की टाइम पास करने लायक न कोई फोटो है न ही कोई slogan .......आखिर सारे  के सारे  विद्यार्थी होनहार तो नहीं हो सकते ना कुछ ऐसे भी होते हैं जिनके जीवन में "ढाई आखर  प्रेम का पढ़े सो पंडित होए वाले दोहे को चरितार्थ करने की चुल्ल  मची होती हैं "
थोड़ी ही देर में एक के बाद एक छात्रों का आना start हो गया  मै  चुपचाप उन्हें देखता रहा और सारा ध्यान इसपे था की कितनी बालाएं (girls ) की entry हो रही है 
एक के बाद एक छात्रों  ने अपने हथियार मतलब कलम, पेंसिल ,calculator इत्यादि निकालना शुरू  किया तब धीरे धीरे याद आया की ये सब भी लाना पड़ता है खैर मै  कर भी क्या सकता था अब ........और मै तो वैसे भी होनहार हूँ और टाइमपास करने के लिए calculation से अच्छा क्या हो सकता है आखिर inviglator को  भी लगना  चाहिए की बच्चा exam देने ही आया है  और दिमाग की थोड़ी कसरत भी हो जाएगी ......
मेरे हिसाब से दुनिया का कोई भी exam 3 hour का नहीं होना चाहिए और अगर हो भी तो सबको अपनी मर्जी से क्लास छोड़  देने की छुट होनी चाहिए ...सबके अपने अपने ज्ञान की सीमा होती है कोई घंटे भर में लिख लेता है तो किसी को लिखने के लिए उम्र कम पड़ जाती है ......
question paper मिलने के बाद इत्मीनान के साथ उसे रंगना शुरू किया फिर  paper में search करना शुरू किया की मेरे ज्ञान की सीमा कहाँ तक है इस बार भी कुछ ऐसा नहीं हुआ की जैसे समस्त ज्ञान का भण्डार मेरे पास हो और मै  paper में वो सारा का सारा ज्ञान उड़ेल दूँ .....अथक प्रयास के बाद कुछ इज्ज़त बचने लायक जुगाड़ हो पाया ......इतना करने के बाद भी जब काफी समय बचा पाया तो सोचा की क्या अगले बार फिर मै इस exam को देने की गलती करूँगा ???? एक यक्ष प्रश्न की तरह से ये सवाल मेरे दिमाग में घूमता रहा .....exam hall एक ऐसी जगह है जहाँ कवितायेँ ,कहानियां कुछ भी तैयार नहीं हो पाती  है।
यही सोचते सोचते 2 hour गुज़र गए बचा 1 और .....अब तो ना दिमाग में सोचने लायक बचा था न paper में कुछ करने लायक ...फिर भी दिल नहीं भरा  और question paper को फिर से एकबार पढ़ के देखा की कही कोई और question होने लायक तो नहीं है  .....ऐसा करने में एक समस्या और भी है की जितनी बार आप question paper पढ़ते हैं negetive marks आने की संभावना उतनी ही प्रबल होती जाती है .......सो यही सोच कर मैंने अब बस किया .......
समझ में आ गया finally कि "बेटा तुमसे न होगा "....................
(10/02/2013)

Monday 4 February 2013

युहीं मिलते हैं और युहीं बिछड़ जाते हैं
सच्चे प्यार में लोग मिल ही कहाँ पाते हैं 
यहीं अंजाम है इस जश्ने मोहब्बत का यारों 
संभालो खुद को अभी भी वक़्त है प्यारों 
एक प्यार को पाने में कितने साथ छुट जाते हैं 
झीने रिश्तों के कितने डोर टूट जाते हैं 
ये दरिया आग का है, डूब के जाना पड़ता है 
अकेले तन्हा  घुट घुट के मरना पड़ता है 
मुझे भी प्यार हुआ था कभी एक गोरी से 
पता ना  चल पाया कैसे हुआ ये चोरी से 
मुझे पता था मैं  उसको पा कभी ना पाउँगा 
कितनी कोशिश कर लूँ उसको भुला ना पाउँगा 
आके ख्वाब में वो रोज यूँ सताएगी 
लाख कोशिश कर लो पर नींद नहीं आएगी 
ख्वाब हीं  उसके मिलने का जरिया होगा 
किसी से प्यार न करो यही बढिया होगा 
सजी महफिलों में खुद को तन्हा पाओगे 
झूठी मुस्कान चेहरे पे कबतक लाओगे 
प्यार की दुनिया एक अजीब तंतर है
 यहाँ फेल होते झाड फूंक मंतर हैं 
ठोकर खाने से पहले संभल जाना है 
प्यार से खुद को उम्र भर बचाना है.........................
(04/02/2013)