युहीं मिलते हैं और युहीं बिछड़ जाते हैं
सच्चे प्यार में लोग मिल ही कहाँ पाते हैं
यहीं अंजाम है इस जश्ने मोहब्बत का यारों
संभालो खुद को अभी भी वक़्त है प्यारों
एक प्यार को पाने में कितने साथ छुट जाते हैं
झीने रिश्तों के कितने डोर टूट जाते हैं
ये दरिया आग का है, डूब के जाना पड़ता है
अकेले तन्हा घुट घुट के मरना पड़ता है
मुझे भी प्यार हुआ था कभी एक गोरी से
पता ना चल पाया कैसे हुआ ये चोरी से
मुझे पता था मैं उसको पा कभी ना पाउँगा
कितनी कोशिश कर लूँ उसको भुला ना पाउँगा
आके ख्वाब में वो रोज यूँ सताएगी
लाख कोशिश कर लो पर नींद नहीं आएगी
ख्वाब हीं उसके मिलने का जरिया होगा
किसी से प्यार न करो यही बढिया होगा
सजी महफिलों में खुद को तन्हा पाओगे
झूठी मुस्कान चेहरे पे कबतक लाओगे
प्यार की दुनिया एक अजीब तंतर है
यहाँ फेल होते झाड फूंक मंतर हैं
ठोकर खाने से पहले संभल जाना है
प्यार से खुद को उम्र भर बचाना है.........................
(04/02/2013)
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