वैसे तो exam कभी लिए excitement की चीज़ नहीं रही इसके कारण भी कुछ थे जैसे semester बस कहने के लिए 6 महीने का होता था but exam तो हर 3 से 4 महीने में आ जाता था । फिर उस बीच में internal exams की जिस बाढ़ से गुज़रना पड़ता था उसके बारे में तो पूछिये मत। sem xam लिखने में तो कोई परेशानी नहीं थी कौन सी copy पुरे class में दिखाई जाएगी सो हम भी बेधड़क लिखते थे बस लिखते ही थे ये मत पूछियेगा की क्या लिखते थे क्योकि मै बता भी नहीं पाउँगा की मेरे कुछ खास मित्र उसमे दैनिक जागरण से लेकर TIMES OF INDIA और TUNDEY KABAB तक की घटनाओ का ज़िक्र भी करते थे और बाकायदा अछे numbers से पास भी हुए without back सो उन्हें सलाम ।
हाँ तो हम थे की xam को लेकर कोई भावनाएं नहीं थी हमारी वो एक साधारण सी बात थी लेकिन इसमें बदलाव तब हुआ जब 2nd year में हमारा center बदल के थोड़े दूर के कॉलेज पंहुचा और वह जाने के लिए college की तरफ से hostelers के लिए बस का इंतजाम हुआ ।
सबसे अच्छी बात ये थी की लड़के और लड़कियां एक ही बस में जायेंगे ये एक ऐसा सुखद समाचार था जिसके बारे में सोच सोच के ही मन खुश हो जाता था और हम बेसब्री से इंतजार करते थे की xam sem में एक ही बार क्यों होता है कम से कम 3 बार तो होना ही चाहिए । खैर हमारे लिए UPTU के नियम थोड़े बदलते । शायद किसी भी sem के वो सबसे अच्छे दिन होते थे हम सबके लिये। कुछ मित्र गन के सहयोग से बाहर मतलब dayscholar लडकियां भी बस में जाती थी जिस से माहौल और भी अच्छा हो जाता था की कुछ तो संख्या बढ़ी ।
xam वाले दिन सब अच्छे अच्छे कपडे पहन के तैयार हो के बस में सवार होता था जय शिव शंकर हर हर महादेव और भगवती के जयघोष के साथ बस खुलती थी । हम जितना पढ़े रहते थे हमारे लिए काफी होता था और हमारी तफरी शुरू हो जाती थी जिस से लड़कियों के चेहरे के भाव बदलते रहते थे और उनकी पढने में हो रही परेशानियां स्पस्ट होती थी । ऐसा लगता था की सारी sem की पढाई इसी बस में कर लेनी है लेकिन सच्चाई तो ये थी की अनगिनत बार वो उस subject को revise कर रही होती थी ।
कुछ हमारे मित्र चाह कर भी अपने madam हमारे हिसाब से भाभी जी के पास नहीं बैठ पाता था की लड़के पीछे से क्या बोलेंगे कुछ पता नहीं था एक बड़ा ही अच्छा सा coment याद आ रहा है कि "हम यहाँ मरेंगे क्या " ये तब था जब कोई हमारा साथ छोर के किसी बालिका के साथ बैठता था ।
जैसे तैसे हम xam देते समय थोडा बर्दास्त कर के चले भी जाते थे but xam से निकलने के बाद बस से हॉस्टल आते समय जो एक से एक बयानबाज़ी से हंस हंस के बुरा हाल हो जाता था इसका फायदा हमारे कुछ engage मित्र उठाते थे और अपने मैडम के साथ कुछ समय बीताते थे हम इसे poweplay कहते थे ।
कुछ समय शायरी गानों का तो कुछ फिल्मो के dialouge का होता था जैसे "क्या तारा सिंह को passport नहीं मिलेगा तो वह पकिस्तान नहीं जायेगा " "अगर तुम्हारे दरवाज़े पे बारात आई तो डोली की जगह अर्थी उठेगी और सबसे पहले उसकी उठेगी जिसके सर पे सेहरा होगा " "इन हाथो ने हथियार चलाना छोरे हैं भूले नहीं हैं " "सातों को मारूंगा एक साथ मारूंगा " ये सब कुछ यादगार बयां हैं जो आज भी ज़ेहन में बसे हुए हैं और इन्हें बोलने वालो के नाम भी । शायरी और कविता में कुमार विश्वास जी के कविताओ का पूरा सहयोग मिला ।
लड़कियों की दुनिया अलग होती थी उनमे भी group बनते हुए थे और सबकी मस्ती का अलग प्रकार था कुछ को बस में परेशानी थी जिस के कारन वो चुपचाप खिड़की के बगल में बैठ के नजारो को देखते हुए जाती और देखते हुए आती थी और कुछ पूछने पे हलके से मुस्कुरा देती थी जैसे मुस्कुराने से नंबर कम हो जायेंगे ।
वैसे तो कभी कभी ऐसा होता था जब लड़के एक दुसरे से पूछे की xam कैसा गया है क्योकि सबको एक दुसरे की हकीकत मालूम थी लेकिन लडकियो से पूछना तो लाज़मी था । कुछ लोगो के मुह से 4 साल में एक बार भी नहीं सुना की paper अच्छा हुआ है उनके हिसाब से back आना तय है लेकिन marks hamesha 70% से ज्यादा । मै इसका मतलब आज तक नहीं समझ पाया की ये क्या चक्कर था ।
आज भी जब कभी ये सब dialouge सुनता हू या किसी को ऐसे मस्ती करते देखता हू तो सब फिर से याद आ जाता है जितने अच्छे से ये सब होता था उतने अच्छे से और उतनी बाते मै लिख तो नहीं पाया हूँ बस एक प्रयास भर किया है फिर वो सुखद याद हमेशा दिल में रहेंगी चाहे मै कही भी और कैसा भी रहूँ ॥
हाँ तो हम थे की xam को लेकर कोई भावनाएं नहीं थी हमारी वो एक साधारण सी बात थी लेकिन इसमें बदलाव तब हुआ जब 2nd year में हमारा center बदल के थोड़े दूर के कॉलेज पंहुचा और वह जाने के लिए college की तरफ से hostelers के लिए बस का इंतजाम हुआ ।
सबसे अच्छी बात ये थी की लड़के और लड़कियां एक ही बस में जायेंगे ये एक ऐसा सुखद समाचार था जिसके बारे में सोच सोच के ही मन खुश हो जाता था और हम बेसब्री से इंतजार करते थे की xam sem में एक ही बार क्यों होता है कम से कम 3 बार तो होना ही चाहिए । खैर हमारे लिए UPTU के नियम थोड़े बदलते । शायद किसी भी sem के वो सबसे अच्छे दिन होते थे हम सबके लिये। कुछ मित्र गन के सहयोग से बाहर मतलब dayscholar लडकियां भी बस में जाती थी जिस से माहौल और भी अच्छा हो जाता था की कुछ तो संख्या बढ़ी ।
xam वाले दिन सब अच्छे अच्छे कपडे पहन के तैयार हो के बस में सवार होता था जय शिव शंकर हर हर महादेव और भगवती के जयघोष के साथ बस खुलती थी । हम जितना पढ़े रहते थे हमारे लिए काफी होता था और हमारी तफरी शुरू हो जाती थी जिस से लड़कियों के चेहरे के भाव बदलते रहते थे और उनकी पढने में हो रही परेशानियां स्पस्ट होती थी । ऐसा लगता था की सारी sem की पढाई इसी बस में कर लेनी है लेकिन सच्चाई तो ये थी की अनगिनत बार वो उस subject को revise कर रही होती थी ।
कुछ हमारे मित्र चाह कर भी अपने madam हमारे हिसाब से भाभी जी के पास नहीं बैठ पाता था की लड़के पीछे से क्या बोलेंगे कुछ पता नहीं था एक बड़ा ही अच्छा सा coment याद आ रहा है कि "हम यहाँ मरेंगे क्या " ये तब था जब कोई हमारा साथ छोर के किसी बालिका के साथ बैठता था ।
जैसे तैसे हम xam देते समय थोडा बर्दास्त कर के चले भी जाते थे but xam से निकलने के बाद बस से हॉस्टल आते समय जो एक से एक बयानबाज़ी से हंस हंस के बुरा हाल हो जाता था इसका फायदा हमारे कुछ engage मित्र उठाते थे और अपने मैडम के साथ कुछ समय बीताते थे हम इसे poweplay कहते थे ।
कुछ समय शायरी गानों का तो कुछ फिल्मो के dialouge का होता था जैसे "क्या तारा सिंह को passport नहीं मिलेगा तो वह पकिस्तान नहीं जायेगा " "अगर तुम्हारे दरवाज़े पे बारात आई तो डोली की जगह अर्थी उठेगी और सबसे पहले उसकी उठेगी जिसके सर पे सेहरा होगा " "इन हाथो ने हथियार चलाना छोरे हैं भूले नहीं हैं " "सातों को मारूंगा एक साथ मारूंगा " ये सब कुछ यादगार बयां हैं जो आज भी ज़ेहन में बसे हुए हैं और इन्हें बोलने वालो के नाम भी । शायरी और कविता में कुमार विश्वास जी के कविताओ का पूरा सहयोग मिला ।
लड़कियों की दुनिया अलग होती थी उनमे भी group बनते हुए थे और सबकी मस्ती का अलग प्रकार था कुछ को बस में परेशानी थी जिस के कारन वो चुपचाप खिड़की के बगल में बैठ के नजारो को देखते हुए जाती और देखते हुए आती थी और कुछ पूछने पे हलके से मुस्कुरा देती थी जैसे मुस्कुराने से नंबर कम हो जायेंगे ।
वैसे तो कभी कभी ऐसा होता था जब लड़के एक दुसरे से पूछे की xam कैसा गया है क्योकि सबको एक दुसरे की हकीकत मालूम थी लेकिन लडकियो से पूछना तो लाज़मी था । कुछ लोगो के मुह से 4 साल में एक बार भी नहीं सुना की paper अच्छा हुआ है उनके हिसाब से back आना तय है लेकिन marks hamesha 70% से ज्यादा । मै इसका मतलब आज तक नहीं समझ पाया की ये क्या चक्कर था ।
आज भी जब कभी ये सब dialouge सुनता हू या किसी को ऐसे मस्ती करते देखता हू तो सब फिर से याद आ जाता है जितने अच्छे से ये सब होता था उतने अच्छे से और उतनी बाते मै लिख तो नहीं पाया हूँ बस एक प्रयास भर किया है फिर वो सुखद याद हमेशा दिल में रहेंगी चाहे मै कही भी और कैसा भी रहूँ ॥