Saturday 4 May 2013


फिर वही अंदाज़ वही एहसास वही मस्ती वही मजा .....लिख रहा हूँ और यादों के साथ हंसी आ रही है......कल का टैग  "भाई पहली बार है क्या???? "
घटना है याह्या रईस की मुंबई से आने की .....मैं और भानु ने एअरपोर्ट जाने का जोखिम उठाया आखिर हम हीं तो हैं जम्बाज़ खिलाडी ......AIIMS पे मेरी और भानु की मुलाकात हुई वही से सोचा ऑटो ले लेते हैं क्योकि फोन पर याह्या के आने की सुचना मिल चुकी थी और गालियों का आदान  प्रदान प्रारंभ हो चूका था सो हमें भी जल्दी पहुचना था .......
मिश्रा यानि मैं -भाई IGI चलोगे ?
औटोवाला- ये कहा है?
भानु-एअरपोर्ट
औटोवाला-चलेंगे कहा से चलना है (हमें घूरते हुए )
मैं -यही से
औटोवाला- सामान नहीं लेंगे??
भानु- हम ऐसे ही चलते हैं,  चलना है??कितना लोगे?
औटोवाला- २००
मैं- रहने दे हम चले जायेंगे
फिर थोड़ी देर बाद गालियों से बचने क लिए ऑटो कर लिया वरना याह्या के हिसाब से हम उसे pick  नहीं बाद drop  करने जाते
खैर हम पहुचे तो पता लगा भाई साहब किसी मंदिर के पास खड़े हैं और हमारी नज़रे किसी मंदिर को नहीं देख पा रही थी हाँ सेक्सी dresses  में airhostes की कतार से नज़रे नहीं हट रही थी
hamdono  दोनों भूल चुके the  की ham  याह्या के लिए आये हैं यहाँ खैर याह्या का फिर कॉल आया तो मंदिर  की तलाश शुरू हुई पूछते पूछते एक मंदिर पे पहुचे तो पता लगा ये वो मंदिर नहीं जहा वो है कैसे भी पहुचे भाई से मिले .....लगा नहीं की इतने दिन बाद mil रहे हैं सब अपने rang  में थे ......याह्या क हिसाब से पुरे प्लेन के स्टाफ और यात्री को पता चल गया था की ये उसकी पहली हवाई यात्रा है
जब DELHI  आके याह्या ने अपने सामान पूछा तो पता लगा की लखनऊ में मिलेगा वैसे हमें तो पहले से ही पता था  की याह्या का सामान लखनऊ में हीं मिलेगा वैसे याह्या ने जब पूछा की मेरा सामान कहा है तो किसी ने बदले में फिर उस से सवाल पूछ लिया की पहली बार जा रहे हो क्या??? मैंने कहा की याह्या को कहना चाहिए था की जो पहली बार जाता है उसके सामान नहीं मिलता है क्या बे और अगर हमसब साथ होते तो मुझे पूरा विस्वास है की ऐसा ही होता........कुछ खाने पिने और बिल पेमेंट को लेके झगड़ने में एक अंकल को परेसान और हलकी चोट पहुचने के बाद याह्या को वापस भेज और हमने कुछ airhostess ताड़ी और वापस आ गए....थोडा नेहरु प्लेस में विश्राम लिया और फिर रूम वापस.........

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