Thursday 1 August 2013

अक्सर राह चलते, कही आते जाते,सोते जगते,किसी से बात करते समय ऐसी बातें याद आ जाती हैं जिससे अचानक मुस्कुराहट चेहरे पे आ जाती है और दिल खुश हो जाता है। इन्सान कैसे कैसे काम करता है जिसका कोई मतलब नही होता लेकिन कितना मजा आता है करने में। घटना है मेरे कालेज के दिनों की जब मोबाइल में प्रति सेकेंड दरें होती थी। हम क्लास में किसी का भी ध्यान अपनी ओर दिलाने के लिये मिस्काल करते थे अक्सर ये काम किसी बालिका के साथ ही किया जाता था अब बालक तो सब साथ ही होते थे तो उनका ध्यान दिला के क्या फ़ायदा था।
बालिका देख के मुस्कुरा देती क्लास में आना सफ़ल हो जाता था उस दिन का ।
फिर होता था क्लास में miscal  का खेल कौन किस से विजयी होता है किसका miscal  सफल और किसका miscal  कॉल मे बदल जाता है इसका युद्ध  था वह । खर ऐसे में जब कभी टीचर ने देख लिया तो एक ही प्रश्न पूछता था क्यों हंस रहे हो हमें भी बताओ ताकि हम भी हँसे और हम सोचते थे की अब क्या बताये की यहाँ किस तरह की बात चल रही है सो हमारा भी एक ही जबाब होता था कुछ नहीं सर । 
ये तो था जो दूर बैठे हैं उनके लिए और इसमें बातों  का आदान प्रदान नहीं होता था । तो बात चीत का एक और जरिया था कॉपी पे लिख के उधर टीचर की पढाई और इधर अपनी बातें दोनों का कोई तालमेल नहीं था हमने technology का भी अच्छा इस्तेमाल किया था msgpack करवा के और इन्टरनेट के जरिये score share करते थे । कुछ टीचर्स ने हमें आज़ादी दी थी की जो मन करे वो करो शायद उन्हें ये ज्ञान हो चूका था की ये नहीं सुधर सकते और इन्हें क्लास का कोई फर्क नहीं पढता और न ही इनका रिजल्ट क्लास के lecture पे depend करता है। इन सब में एक बात थी की इन सब वज़हों से हमारा रिजल्ट कभी ख़राब नहीं आया ताकि कोई इलज़ाम लग सके. 
एक घटना है जब हमारे सर कुछ important topic पढ़ा रहे थे और हमारा सारा ध्यान तेंदुलकर के शतक पर था अचानक खबर मिली की सचिन out मैंने confirm करना चाहा "सही बताओ  " बदले में किसी मित्र का नहीं सर का reply आया "by  god " पहले तो हम कुछ समझ नहीं पाए और जब समझ आया तो इतनी हँसी आई की पूछिये मत। जो भी मेरे मित्र हैं शायद अभी भी उन्हें ये बात याद होगी । 
एक हमरे बहुत प्यारे सर थे जिनकी क्लास 9 :55 से  शुरू होती थी हम उस समय कैंटीन में चाय पीने जाते थे फिर हमारा आगमन 10 :15 पे होता था और फिर हम 20 बाद ही निकल जाते थे चाय पीने और सर हमेसा की तरह अनुमति दे देते थे इसके लिए हम सब मित्र उनके सदा आभारी रहेंगे । 
अभी के लिए इतना ही आगे की कुछ बातें अगली कड़ी मे।  


4 comments:

  1. aaj v ye lab muskura jate h..bite lamhe hme jb v yaad aate h..
    dhanywad mishra h for reminding those days!!!

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  2. bhut ache bhai gajab ki yaad dasht h,aur bhai hammad sir ji bula rhe h ...

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  3. lagata hai purani chijo ko bhool nahi pa rhe hai,,, mishra ji ................lagata hai ki kuch purana ahsas abhi bhi hai ..........jo dard deta ja rha hai ......

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