Tuesday 17 October 2017

कहीं दिवाली के दीये सज रहे हैं
तो कहीं भूख से बच्चे मर रहे हैं
सुबह ऑफिस आने का बाद जो नेट पर पहली न्यूज पढ़ी तो दिमाग के कई सवाल आए, ये अलग बात है कि इस सरकार में सवाल करने की आदत धीरे धीरे कम होती जा रही है फिर भी जरूरत पड़ने पर अपनी बात कहने से कभी पीछे नहीं हटता।
तो खबर थी कि झारखंड में भूख से एक बच्ची की मौत हो गई, बच्ची की माँ ने बताया कि आधार से लिंक नहीं होने की वजह से उसे राशन नहीं मिला जिससे घर में खाना नहीं बन पाया, स्कूल बंद होने की वजह से मीड डे मिल का भी ऑप्शन नहीं था और बच्ची ने भात-भात कहते हुए आँखें मूंद ली।
सबसे पहले मुझे सच में  ये विश्वास नहीं हुआ कि सच में इस युग में भी भूख के कारण किसी की जान जा सकती है, ये अलग बात है कि कल वर्ल्ड भूड डे था और विश्व में सबसे भूखे देशों की लिस्ट में हम काफी आगे हैं लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं कि हमारे देश में आज भी लोग भूखे मरते हैं। अरे हमारे यहाँ लाखों की संख्या में काम करने वाले एनजीओ हैं, कई ऐसे लोग हैं जो दिवाली में अपने संस्थान के खुद के माध्यम से खुशियाँ बांटने का काम कर रहे हैं और स्लम्स में जा कर दिवाली मना रहे हैं ऐसे में इस बच्ची का मरना इनके लिए काम करने वालों पर सवाल खड़ा करता है।
इसके अलावा क्या केवल आधार का राशन से लिंक ना होना उसकी मौत के लिए जिम्मेदार है कहना मुझे उचित नहीं लगता, अगर कोई आपके आस पास भूख से तड़प रहा है तो उससे ये थोड़े ना पूछते हैं कि तुम्हें खाना क्यों नहीं मिला, क्या तुम्हारा आधार से राशन लिंक नहीं हुआ है, ये सब सेकेंण्डरी बातें हैं प्राथमिक है उसे भोजन उपलब्ध कराना जो ना हो सका।
इस बच्ची की मौत हमारे आगे बढ़ते और प्रगतिशील होते समाज पर कलंक है, रोज फेसबुक पर कई प्रकार के ज्ञान मिलते हैं, कुछ आलोचना कर दो तो लोग कहते हैं आप देश की आलोचना कैसे कर सकते हैं, और आलोचना देश की नहीं यहाँ के व्यवस्था की है जिसमें आज भी भूख से बच्चे मर जाते हैं कैसे मानूं मैं कि देश आगे बढ़ रहा है। तमाम योजनाएं और घोषणाओं का क्या फायदा जब भूख से तड़प के मरने को विवश हैं लोग।
मुझे भी पता है कि मेरे लिखने से कुछ ऐसा बदलने वाला नहीं है लेकिन मन विचलित जरूर है और परेशान भी कि इस मौत का जिम्मेदार कौन है जुमलेबाजी करने वाली सरकार, आधार से राशन को लिंक करने की योजना, वो राशन की दुकान वाला जिसने उस बच्ची के भूख को नहीं नहीं आधार का राशन से लिंक होना जरूरी समझा, वो तमाम संस्थाएं जो गरीबों को भोजन कराने का दावा करती हैं या मैं और आप जिन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता कि अभी भी आपके बगल में कोई भूखा सो रहा है??

(अभिषेक)

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