Tuesday 15 November 2016

नोटबंदी- परेशान जनता के बीच देश को आगे ले जाने की कवायद


500-1000 के नोटों की बंदी ने सामान्य तौर पर जीवन में अस्तव्यस्तता की स्थिति उत्पन्न कर दी है। तमाम बैंकों और एटीएम के आगे लगती हुई लाइनें इसके गवाह हैं। काफी जगह मार-पीट और भगदड़ जैसी स्थिति भी उत्पन्न हुई है लेकिन ज्यादातर जगह लोग लाइन में लग रहे हैं और पैसे निकाल रहे हैं। सरकार के खिलाफ गुस्से और आक्रोश के साथ-साथ अच्छा खासा समर्थन भी है जो सरकार के लिए उत्साह बढ़ाने वाला है। ये अलग बात है कि इस योजना को लागू करने से पहले कुछ जरूरी कदम उठाए जा सकते थे, जिससे यह बात बाहर आए बिना कि नोट बंद होने वाले हैं योजना को अच्छे से लागू किया जा सकता जैसे-

1.       माइक्रो एटीएम की व्यवस्था पहले से की जा सकती थी जिसे अब लगाने की बात की जा रही है इसके लिए कुछ बताने की जरूरत भी नहीं थी क्योंकि ग्रामीण इलाकों में वैसे भी एटीएम का अभाव है।

2.       यूं भी बैंकों के बहुत सारे एटीएम खराब रहते हैं या बहुतों में पैसे नहीं रहते तो आरबीआई के द्वारा एक गाइडलाइन जारी कर इन बैंकों को इन्हें सुचारू रुप से चलाने के निर्देश दिया जा सकता था, इसके लिए भी नोटबंदी की खबर बताने की आवश्यकता नहीं थी क्योंकि एटीएम अब हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुके हैं जिनके बंद रहने से परेशानी होती है।

3.       हवाईजहाज से नोट पहुँचाने की व्यवस्था जो दो दिन बाद शुरू हुई वो घोषणा के तुरंत बाद से भी की जा सकती थी ताकि बैंको में नोट कम ना पड़ें।

4.       एटीएम तक नोट पहुँचाने वाले एजेंसियों की संख्या में वृद्धि कर इस समस्या को कम किया जा सकता था।


5.       2000 के बदले 500 के नए नोट पहले बाजार में आने से छुट्टे की समस्या पर काबू पाया जा सकता था।
तो ये कुछ जरूरी उपाय पहले भी किए जा सकते थे जो अब किए जा रहे हैं। इतना होने के बावजूद ये निर्णय सही सोच से लागू किया गया तो कुछ सामान्य फायदे हो सकते हैं बड़े बदलाव की बात अलग है जैसे-
1.       काफी संख्या में देश के गाँवों में समृद्ध लोग भी अपने प्रभाव से या पैसे देकर खुद को बीपीएल की लिस्ट में शामिल करा लेते हैं अब अगर उनके अकाउंट में ज्यादा रूपए पाए जाएंगे तो सरकार उनसे सवाल कर सकती है कि वो कैसे बीपीएल में हैं जबकि उनके पास पर्याप्त पैसा है।

2.       देश में बेइमानों की कमी नहीं है और घूस देकर यहाँ लगभग हर काम कराया जा सकता है जैसे बहुत सारे सरकारी नौकरी वाले, व्यापारी, प्राइवेट नौकरी वालों के बच्चे घूस देकर अपना मात्र 6000 का इन्कम सर्टिफिकेट बनवा लेते हैं और स्कॉलरशिप उठाते हैं और जरूरतमंद छात्र इससे वंचित रह जाते हैं। ऐसे लोगों के अकाउंट को चेक कर इस पर लगाम लगाया जा सकता है और उन लेखपालों को भी दंडित किया जा सकता है जो ऐसे जाली सर्टिफिकेट बनाते हैं। ये अलग बात है कि ये इतना आसान नहीं होगा लेकिन इतना मुश्किल भी नहीं होगा जितना अभी का फैसला था।

3.       घूस लेकर हजारों करोड़ की संपत्ति जमा करने वाले लोग अब इतना खूल कर घूस नहीं लेंगे और लेंगे भी तो शायद घर में जमा कर के नहीं रखेंगे और ना बैंक में जमा कर पाएंगे। लेकिन छोटे नोटों के रुप में घूस लेने की संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता क्योंकि आदत सुधरती नहीं है इतनी जल्दी।

4.       देश में इन्कम टैक्स भरने वालों की संख्या में इजाफा हो सकता है क्योंकि यहाँ के जनसंख्या का बहुत कम अनुपात टैक्स का भुगतान करता है। लोग साल में 22 लाख की खरीदारी करते हैं लेकिन वार्षिक आय 5 लाख से कम ही दिखाते हैं।
5.       भविष्य का तो नहीं पता लेकिन अगले एक-दो साल पैसा घर में दबा के रखने की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगा लोगों की क्रय क्षमता कम होने से मंहगाई के भी कम होने की संभावना है।

कुछ और भी जरूरी घोषणाएं कर प्रधानमंत्री लोगों का विश्वास मजबूत कर सकते हैं जैसे जिन कारपोरेट घरानों के पास बैंको के हज़ारों करोड़ बकाया है उनके उपर दबाव बनाया जाए कि वो कर्ज चुकाएं या उनके नाम सार्वजनिक किए जाएं, राजनीतिक दलों को उनके चंदे का हिसाब देने के लिए कानून बनाया जाए और उन्हें आरटीआई के दायरे के अंदर लाया जाए।

ये अलग बात है कि इसके लिए ढृड़इच्छाशक्ति चाहिए जो कि उन्होंने नोटबंदी के फैसले को लेकर दिखाया है।
उम्मीद है कि अभी चलती हुई परेशानी कुछ अच्छा परिणाम लेकर आए वरना हमेशा की तरह अगर परिणाम ढ़ाक के तीन पात हुए तो जनता एक बार फिर ठगी जाएगी और तमाम सवालों के लिए प्रधानमंत्री को तैयार रहना होगा।

(अभिषेक)


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